24 जून 1996 कश्मीर टाइम्स
जिधर देखूं,
उधर अजगर,
इधर अजगर,
उधर अजगर,
आगे अजगर,
पीछे अजगर,
नीचे अजगर,
ऊपर अजगर,
अंदर अजगर,
बाहर अजगर,
छोटा अजगर,
बड़ा अजगर,
जिधर देखूं,
उधर अजगर,
अजगर ही अजगर
हो जायेंगे जब हर शाख पर,
बता चेतन चहकेंगे पंछी,
कैसे? शाख शाख पर,
श्रेणी: कवितायें
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4. शाख – शाख पर
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3. घृणा – फूट
24 जून 1996 कश्मीर टाइम्स
भड़कने नहीं देंगे, हम फिर
घृणा-फूट की ज्वाला,
अवरुध्द करेंगे, बढ़ती इस
भयानक आंधी को,
दुश्मनों का दिल तो है
पहले से ही काला,
सीने पर लगने नहीं देंगे, अब
कोई गोली किसी गांधी को,
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2. चाहेंगे हम
18 जून 1996 कश्मीर टाइम्स
दे सकते हैं, हम सत्ता जिन शासकों को,
हटा सकते हैं, हम उनको भी शासन से,
लोकतांत्रिक हैं, हम बोलेंगे उन शासकों को,
गद्दारी मत करना, तुम भूलकर भी स्वशासन से,
दे सकते हो, कुशल और स्वच्छ प्रशासन देना,
सुख समृद्धि देना और कल्याणकारी प्रशासन देना,
नहीं तो फिर हमने तुम्हारा स्थान खाली कर देना,
चाहेंगे हम तुम्हारा स्थान खाली कर देना,
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1. किस काम का
कश्मीर टाइम्स 18 जून 1996
सेवा जो कर न सके,
वह तन है किस काम का ?
नाम जो जाप न सके,
वह मन है किस काम का ?
कार्य जो सिद्ध कर न सके,
वह धन है किस काम का ?
सन्मार्ग जो दिखा न सके,
वह ज्ञान है किस काम का ?
जीवन-रस जो भर न सके,
वह धर्म है किस काम का ?
जीवन सृजन जो कर न सके,
वह दाम्पत्य है किस काम का ?
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1. किस काम का
असहाय समाज वर्ग जुलाई सितम्बर 1995
सेवा जो कर न सके,
वह तन है किस काम का ?
नाम जो जाप न सके,
वह मन है किस काम का ?
कार्य जो सिद्ध कर न सके,
वह धन है किस काम का ?
सन्मार्ग जो दिखा न सके,
वह ज्ञान है किस काम का ?
जीवन-रस जो भर न सके,
वह धर्म है किस काम का ?
जीवन सृजन जो कर न सके,
वह दाम्पत्य है किस काम का ?