मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: कवितायें

  • श्रेणी:

    आत्म-प्रकाश

    मैं क्यों बुद्धि का अंधा हो गया हूं?
    दो-तीन गुणों का तो मालिक बन गया हूं
    जो भी मैं बड़ाई प्राप्त करता हूं
    क्यों उसमें खुद को खुद भूल गया हूं
    धन्य है कि बड़ाई मेरे पास आती है
    पर वह मुझ में विराजित दिव्यांश को जाती है
    बस यह धारणा मेरी गलत हो गई
    राह भी मेरी आगे की आसान हो गई
    अब अन्तरात्मा मेरा प्रकाशित है
    यह तन मात्र पुतला मिट्टी है
    और समझ में भी मेरे आया है
    घमंड करके मैंने बहुमूल्य जीवन गंवाया है


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    आत्म-जागरण

    पराई आशा पर जीने वाले!
    पराए प्रकाश पर चलने वाले!
    पराई मेहनत खाने वाले!
    रास्ता छोड़ भटकने वाले!
    मिलेगी तुझे कब तक आस?
    मिलेगा तुझे कब तक प्रकाश?
    मिलेगा तुझे कब तक खाना?
    पड़ेगा तुझे कब तक पछताना?
    अपने साहस पर तू कर ले आस,
    अपनी राह पर खुद कर ले प्रकाश,
    नित अपनी मेहनत का खाया कर,
    जीवन की सही राह अपनाया कर,
    पराई आस पर जी रहा, कोई कहेगा नहीं,
    दूसरों का सहारा ले रहा, किसी से सुनेगा नहीं,
    देख रहा हाथ पराए, कोई कहेगा नहीं,
    राह भटक गया, किसी से सुनेगा नहीं,
    निराशा ले जीत, तेरे साहस का है काम,
    मेहनत कर, फल देना ईश्वर का है काम,
    शेर छोड़े जूठन, खाना गीदड़ों का है काम,
    स्थित-प्रज्ञ बन जा, तेरी बुद्धि का है काम,


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    जो चाहो ले लो

    दुनियां से जो चाहो, तुम ले लो
    चाहो शूल, तो शूल मिलेंगे
    चाहो फूल, तो फूल मिलेंगे
    सूुई चुभाओ, तो शूल लगेंगे
    फूल बांटो, तो हार पड़ेंगे
    मुस्कुराहट छीनकर, शूल दर्द देता है
    दर्द लेकर, फूल हंसी लौटा देता है
    चाहो शूल, तुम शूल ले लो
    चाहो फूल, तुम फूल ले लो
    दुनियां से जो चाहो, तुम ले लो


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

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    1. देश हमारा

    मातृवन्दना सितम्बर 2014  

    जन-जन का देख भाई चारा,
    विश्व हुआ हैरान है
    दवी जुवान से प्रसंशा करता,
    भारत की पहचान है
    वन्दे मातरम--------- वन्दे मातरम
    तरह तरह के फूल इसके,
    फूलदान में सब एक हैं
    सुगंध फैलाते चहुं ओर अपनी,
    भारत की पहचान है
    वन्दे मातरम--------------वन्दे मातरम
    खेलना इन्हें पसंद तूफानों से,
    खुदको मिटा देना शान से
    आन बान शान बनाए रखना,
    भारत की पहचान है
    वन्दे मातरम---------- वन्दे मातरम
    बुरी नजर से न देखे कोई,
    जनजन यहां भाईचारा है
    प्रेमसागर डूबा लेता सबको,
    भारत की पहचान है
    वन्दे मातरम ---------वन्दे मातरम
    प्रेमबन्धन से कठोर न कोई,
    प्रभु भी खींचे चले आते हैं
    ईश्वर प्रेमी निहारे कोई,
    भारत की पहचान है
    वन्दे मातरम-------- वन्दे मातरम


    सितंबर 2014 मातृवंदना



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    2. स्लोगन जल बाईसा

    ज्ञान वार्ता छमाही 2013 

    जल है गुणों की खान,
    धरती की बढ़ाये शान,

    जल रहेगा,
    जीवन बचेगा,

    भू-जल बढ़ाओ,
    जीवन बचाओ,

    जल के संग,
    जल के रंग,

    जल है जहाँ,
    जीवन है वहां,

    जल, जीवन की आशा,
    सूखा, निराशा ही निराशा,

    जल की कहानी,
    जीवन की कहानी,

    जहाँ भू-जल सहारा है,
    वहां जीवन हमारा है,

    जल से पढ़, पेड़ों से जंगल,
    सूखे में सबका करते मंगल,

    पेड़, पानी हैं जीवन आधार,
    बंद करो, इन पर अत्यचार,
    जल संपदा, जंगल संग,
    खिलता जीवन, भरता रंग,

    जल मिलेगा जब तक,
    जीवन रहेगा तब तक,

    जल गुणों की खान,
    बचाए हम सबकी जान,

    भूजल के सहारे,
    प्राण रहेंगे हमारे,

    पेड़ों से शुद्ध मिलती है वायु,
    वायु से लंबी होती है आयु,

    जंगल संतुलित वर्षा हैं लाते,
    हम सबका जीवन हैं बचाते,

    जल, जमीन, जंगल संरक्षण प्रण हमारा,
    पल-पल बारी जाये इन पर जीवन हमारा,

    सूखी धरती करे पुकार,
    मुझ पर करो यह उपकार,
    बहते पानी पर बाँध बनाओ,
    भूजल बढ़ाओ, पुनर्भरण अपनाओ,

    जीवन होगा खुशहाल तभी,
    जल बचायेंगे, जब हम सभी,
    जल है,
    जीवन है,

    भूजल संचित,
    जीवन सुरक्षित,

    खुद जागो, दूसरों को जगाओ,
    जल, जमीन, जंगल को बचाओ,
    स्वच्छ बहे जल - धारा
    स्वस्थ रहे जीवन हमारा,

    बहते जल को बांधकर,
    करो यह उपकार,
    भूमि जलस्तर बढ़ेगा,
    सम्पन्न होगा संसार,