मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: कवितायें

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    1. बोल सके तो

    अमर उजाला 13 फरवरी 2007                      

    बोल सके तो बोल प्यारे
    मीठे बोल तू बोल
    कीमती बोल तू बोल प्यारे
    बोल संभल कर बोल
    फूल मुरझा जाते हैं अक्सर
    कली सदा रहती नहीं
    घाव तलवार के भर जाते हैं
    मगर बात कड़वी मिटती नहीं



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    3. प्यारा वतन

    दैनिक जागरण 26 जनवरी 2007 

    है वही मेरा प्यारा वतन
    हिमालय चूमता जहां ऊंचा गगन
    कण कण सौरभ लाती नित नूतन पवन
    पुण्य जीवन पाते मिलते जनगण
    नित क्रांतियों के जहां होते यत्न
    है वही मेरा प्यारा वतन
    मिलता जहां देखने विशाल पाहन सेतु
    उस पार पापी मारा था रक्षा मानवता हेतु
    होता जहां अधर्म का प्रतिक्षण पतन
    है वही मेरा प्यारा वतन



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    2. राही

    दैनिक जागरण 19 जनवरी 2007 

    हम मानव संसार के राही
    लगने न देंगे मानवता पर स्याही
    उठने न पाएगा अज्ञान हाथी
    सबके रक्षक सेवक साथी
    हम तो हैं भले मर्मान्तक
    सेवा हेतु हमें कोई न आंतक
    हम मानव संसार के राही
    लगने न देंगे मानवता पर स्याही
    हम सब अपने हृदय के दीक्षक
    सुख रहे दुख के चिकित्सक
    रावण कंस नाम फिर न होगा विख्यात
    राम कृष्ण नामों पर होगा प्रयास
    हम मानव संसार के राही
    लगने न देंगे मानवता पर स्याही



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    1. देश वासियो

    दैनिक जागरण 12 जनवरी 2007

    उठो नगर वासियो
    जागो देश वासियो
    दुखियारी भारत मां पुकार रही
    आजादी दुख से कराह रही
    दासता से मुक्त हुई है भारत माता
    कुरीतियों में है उसे फंसाया जाता
    उठो नगर वासियो
    जागो देश वासियो
    होना था न केवल हमनें आजाद
    प्रेम त्यागभाव भी हमनें करना था आवाद
    पगपग पर नंगा न कोई होता
    भूखा पदपथ पर न कहीं कोई सोता
    उठो नगर वासियो
    जागो देश वासियो
    संभव हर वस्तु यहां उत्पन्न होती
    हर जरूरतमंद की उस तक पहुंच होती
    कोई न कहीं देखता स्वार्थपरता को
    हटा दो यहां की अब हर विवषता को
    उठो नगर वासियो
    जागो देश वासियो



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    21. प्रेम पुजारी

    दैनिक जागरण 12 दिसम्बर 2006

    प्रेम पुजारी बढ़ता चल
    सबका कष्ट हरता चल
    कभी खो देना न ध्येय
    किसी से खाना न भय
    पानी है मंजिल आज नहीं तो कल
    प्रेम पुजारी बढ़ता चल
    सहारा मिले तो ले लेना तू
    न मिले कदम बढ़ाना तू
    निर्भय प्रतिपल आगे बढ़ता चल
    प्रेम पुजारी बढ़ता चल
    मंजिल सामने एक दिन आएगी
    घड़ी इंतजार की खत्म हो जाएगी
    सफलता मिलेगी आज नहीं तो कल
    प्रेम पुजारी बढ़ता चल