# जैसे रात में विचरण करने वाले उल्लू को दिन में दिखाई नहीं देता है, वैसे ही संसारिक सुख में मस्त रहने वाले को ईश्वर के भी दिव्य दर्शन नहीं होते है।*
श्रेणी: सत्सनातन धर्म – अध्यात्म संस्कृति
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ईश्वर दर्शन
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आश्चर्य
वास्तव में अँधा सूरदास नहीं, अँधा वो है जिसे सत्य नहीं दिखता l
सूरदास ईश्वर दर्शन करता है और आँखों वाला पूछता है - ईश्वर कहाँ है !
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मंदिर
# मंदिर आएं तो भक्त बनकर आएं, पर्यटक बनकर नहीं। मंदिर आस्था केंद्र, पूजा स्थल हैं, कोई पर्यटक स्थल नहीं।*
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