बढ़ा दिए तूने कदम तो सहन कर शूल-अंगार भी l
मन बड़ा अड़ियल घोड़ा मनः भर थोड़ी सी हुंकार भी ll
श्रेणी: 5 विविध
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श्रेणी:आत्म वाचन
जाति
कौन सी जाति ? क्या है जाति ? है नहीं इससे तेरा कोई वास्ता l
है हर एक बन्दा खुदा का बन्दा , मनः है यही प्रेम का रास्ता ll
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श्रेणी:आत्म वाचन
अपने हित की बात
सदा चोट खाता है, तू बातों में गैरों की आ जाता है l
तेरे हित की होती हैं अपनी, मनः बात हितैषी की भूल जाता है ll
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