मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: 5 विविध

  • श्रेणी:

    शूल-अंगार


    बढ़ा दिए तूने कदम तो सहन कर शूल-अंगार भी l
    मन बड़ा अड़ियल घोड़ा मनः भर थोड़ी सी हुंकार भी ll



  • श्रेणी:

    जाति


    कौन सी जाति ? क्या है जाति ? है नहीं इससे तेरा कोई वास्ता l
    है हर एक बन्दा खुदा का बन्दा , मनः है यही प्रेम का रास्ता ll


  • श्रेणी:

    अपने हित की बात


    सदा चोट खाता है, तू बातों में गैरों की आ जाता है l
    तेरे हित की होती हैं अपनी, मनः बात हितैषी की भूल जाता है ll


  • श्रेणी:

    हिम्मत


    पत्थर रख सीने पर, मोड़ दे दिशा लहरों की l
    काम नहीं है कठिन, मनः बात है प्यारे हिम्मत की ll


  • श्रेणी:

    जिन्दगी


    ओला गिरता जल में, बन जायेगा पानी l
    बर्फ पर लिखी जिन्दगी तेरी, मनः एक दिन बन जाएगी पानी ll