मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: 5 विविध

  • श्रेणी:

    लोकमान्य तिलक

    विचारकों के कथन :-

    शरीर को रोगी और निर्बल रखने के सामान दूसरा कोई पाप नहीं है।
    - लोकमान्य तिलक

  • श्रेणी:

    विनोबा भावे

    जब तक कष्ट सहने की तैयारी नहीं होती, तब तक लाभ दिखाई नहीं देता। लाभ की इमारत कष्ट की धूप में ही बनती है।

  • श्रेणी:

    मुंशी प्रेमचंद

    मन एक भीरु शत्रु है जो सदैव पीठ के पीछे से वार करता है।

  • श्रेणी:

    आचार्य चाणक्य

    ऐसा एक भी दिन नहीं जाना चाहिए जब आपने एक श्लोक , आधा श्लोक , चैथाई श्लोक या केवल एक अक्षर नहीं सीखा या आपने दान, अभ्यास या कोई पवित्र कार्य नहीं किया।

  • श्रेणी:

    अरविंद घोष

    कर्म, ज्ञान, और भक्ति ये तीनों जहां मिलते हैं, वहीं सर्वश्रेष्ठ पुरुषार्थ जन्म लेेता है।