कर घृणा नीच विचारों से, मगर इन्सान से नहीं l
करके घृणा इन्सान से, मनः पा सकता तू भगवान नहीं ll
श्रेणी: 5 विविध
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श्रेणी:आत्म वाचन
प्रार्थना-भजन
प्रार्थना, भजन होता है मन से, मन मंदिर के बंद किवाड़ खोल l
स्पीकर, बाजे, चिमटे छैनें फैंक परे, मनः तू देवालय में उच्च न बोल ll
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