कर्म करती चक्की सम, देखी मैंने भारतीय नारी है l
भैंसे सम पीटता है क्यों ? मनः तेरी खो गई अक्कल सारी है ll
श्रेणी: आत्म वाचन
-
श्रेणी:आत्म वाचन
भारतीय नारी
-
श्रेणी:आत्म वाचन
चैन की वंशी
चैन की बंशी बजेगी, जब भ्रष्टाचार का होगा दूर अँधेरा l
सदाचार का पालन करेगा बच्चा-बच्चा, मनः होगा फिर नया सवेरा ll
-
-
श्रेणी:आत्म वाचन
जाति
कौन सी जाति ? क्या है जाति ? है नहीं इससे तेरा कोई वास्ता l
है हर एक बन्दा खुदा का बन्दा , मनः है यही प्रेम का रास्ता ll
-
श्रेणी:आत्म वाचन
अपने हित की बात
सदा चोट खाता है, तू बातों में गैरों की आ जाता है l
तेरे हित की होती हैं अपनी, मनः बात हितैषी की भूल जाता है ll