मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: आत्म वाचन

  • श्रेणी:

    भारतीय नारी


    कर्म करती चक्की सम, देखी मैंने भारतीय नारी है l
    भैंसे सम पीटता है क्यों ? मनः तेरी खो गई अक्कल सारी है ll


  • श्रेणी:

    चैन की वंशी


    चैन की बंशी बजेगी, जब भ्रष्टाचार का होगा दूर अँधेरा l
    सदाचार का पालन करेगा बच्चा-बच्चा, मनः होगा फिर नया सवेरा ll


  • श्रेणी:

    शूल-अंगार


    बढ़ा दिए तूने कदम तो सहन कर शूल-अंगार भी l
    मन बड़ा अड़ियल घोड़ा मनः भर थोड़ी सी हुंकार भी ll



  • श्रेणी:

    जाति


    कौन सी जाति ? क्या है जाति ? है नहीं इससे तेरा कोई वास्ता l
    है हर एक बन्दा खुदा का बन्दा , मनः है यही प्रेम का रास्ता ll


  • श्रेणी:

    अपने हित की बात


    सदा चोट खाता है, तू बातों में गैरों की आ जाता है l
    तेरे हित की होती हैं अपनी, मनः बात हितैषी की भूल जाता है ll