मानवता सेवा की गतिविधियाँ
कली बनता गुल, गुल खिलता है काँटों में lअभ्यास बनता है मेहनत, मनः होती नहीं मेहनत बातों में ll
चेतन कौशल
महंदी रंग लाती है पत्थर पर घिसने के बाद lअक्कल का गुल खिलता है, मनः ठोकर खाने के बाद ll
कुछ मिलता है, भेंट देने के बाद lतोडना पड़ता है नाता, मनः भुलानी पड़ती है याद ll
शुद्ध आचार, शुद्ध आहार lजीवन आधार, मनः शुद्ध व्यवहार ll
विकारी कमजोर मन कभी सुमिरन काम न कर पाए lरंग बदले गिरगिट सम, मनः रंग एक आये, एक जाये ll