मानवता सेवा की गतिविधियाँ
गिरती बूंद नदी में बह जाती है संग जलधार lजीना-मरना खेल है, मनः नहीं जीत, यहाँ न किसी की हार ll
चेतन कौशल
रात काली कट जाती है, सूर्य ले आता है सवेरा lदिल से दिल मिलता है, मनः छंट जाता है गम का अन्धेरा ll
तरह-तरह का जलना है, तरह-तरह की है आग lजिन्दा जलाती चिंता तुझको, मनः मुर्दा भस्म करती है आग ll
खोज जिसे होती है, मंजिल पा ही लेता है lपरिश्रम बिना जो ढूंढता है, मनः जीवन नष्ट कर लेता है ll
मुसीबत में करते जो आह नहीं, बूझने नहीं देते जो योगाग्नि को lसदाचार होता है संग उनके, मनः सतगुरु पार भव सागर ले जाने को ll