मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: 4 मानव

  • श्रेणी:

    गृहस्थ आश्रम

    सत्सनातन धर्म के अनुसार जितेंद्रिय गुरु - शिष्य द्वारा वेद शास्त्र का संयुक्त पठन – पाठन, शस्त्र - शास्त्रों का शिक्षण - प्रशिक्षण अभ्यास द्वारा शारीरिक, मानसिक, बौध्दिक, और अध्यात्मिक शक्तियां अर्जित करने तथा स्नातक बनने के पश्चात युवा के लिए योग्य वर देखकर शादी करने या गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने का प्रावधान है l 
    परिवार में नर – नारी पति - पत्नी के रूप में, एक दूसरे के पूरक होते हैं । इसके साथ ही साथ वे परिवार/समाज का निर्माण/कल्याण भी करते हैं । जिस प्रकार महिला अपने परिवार और समाज की आंतरिक जिम्मेदारियों को भली प्रकार संभालती है, ठीक उसी प्रकार पुरुष भी बाह्य जिम्मेदारियों को संभालते हैं ।

  • श्रेणी:

    ब्रह्मचर्य आश्रम

    सत्सनातन धर्म के अनुसार जिस आश्रय स्थली से जितेंद्रिय गुरु - शिष्य द्वारा वेद शास्त्र का संयुक्त पठन – पाठन, शस्त्र - शास्त्रों का शिक्षण - प्रशिक्षण अभ्यास के लिए गुरुकुल जाते हैं और उसके पश्चात उनके द्वारा जहाँ लौटकर विश्राम किया जाता है - ब्रह्मचर्य आश्रम कहलाता है l 

  • श्रेणी:

    जीवन के चार आश्रम

    आर्ष दृष्टिकोण से जीवन के चार आश्रम माने गए हैं l ये आश्रम जीवन के समस्त कर्मों को चार वर्गों में विभक्त करते हैं l ऐसा जीवन यापन करने से जीवन की बहुत सी समस्याओं को बड़ी सुगमता से निपटाया जा सकता है l 

  • श्रेणी:

    वृद्ध अवस्था

    वृद्ध अवस्था में मानव की कृश-काया भले ही उसका साथ न दे, पर वह अपने पिछले दीर्घ काल में किये गए कार्य अनुभवों से सम्पन्न अवश्य होता है l उसकी सन्तान चाहे तो उन अभिभावक के सानिध्य में बैठकर उनके कार्य अनुभवों से बहुत कुछ सीख सकती है l

  • श्रेणी:

    युवा अवस्था

    युवा अवस्था में बच्चे का ज्ञान और विवेक परिपक्व हो जाता है l वह अपने जीवन में l अच्छे, बुरे या निषिद्ध कार्य का सही आंकलन कर सकता है l उसे अच्छे, बुरे या निषिद्ध कार्य का ज्ञान होता है l अभिभावक का उस पर सदैव आशीर्वाद बना रहना  चाहिए l वह अपने जीवन में कोई भी उचित निर्णय ले सकता है l 
    माता - पिता द्वारा संस्कारित, गुरु द्वारा दीक्षित और अध्यापक द्वारा शिक्षित - प्रशिक्षित युवा ही अपने जीवन की चुनौतियों, बधाओं, कठिनाइयों और दुःख - सुख का धैर्य और साहस के साथ सामना करने में सक्षम होते हैं । इससे वे सामाजिक एवंम राष्ट्रीय जिम्मेदारियों को भी भली प्रकार निभाते हैं ।