दैनिक जागरण 2 मार्च 2007
जागो धरती नन्दन हो रहा क्रंदन महान
कांप रही धरती गिर न जाए आसमान
पीडि़त राष्ट्र निज नेत्र खोल जरा
त्रस्त मानवता रक्त रंजित हो धरा
जमा और मुनाफाखोरों का लगा है मेला
स्वार्थ सिद्धि का पड़ा है घेरा
पल पल लाता कम्पन प्रभंजन जहान
जागो धरती नन्दन हो रहा क्रंदन महान
राम कृष्ण की धरती कर रही पुकार है
उत्तरदायी होकर तू क्यों कर रहा संहार है
असहाय प्राणी देश के क्षुधार्थ मरने को हैं लाचार
छोड़ धन संचयन की लालसा तूने करना है उपकार
सदाचारी को समझे नित मां अपनी प्यारी संतान
जागो धरती नन्दन हो रहा क्रंदन महान
चेतन कौशल "नूरपुरी"
श्रेणी: 3 स्व रचित रचनाएँ
-
श्रेणी:कवितायें
जागो धरती नन्दन
-
श्रेणी:कवितायें
भूजल संरक्षण
भूजल संरक्षण का हर जगह रखना है ध्यान
पल पल इससे सबको मिलता है जीवन दान
अब हमने युद्धस्तर पर करना है
भूजल का संरक्षण
भूजल स्तर ऊपर लाना है
होगा इससे हर जीवन का संरक्षण
नहीं करेंगे अब हम और अधिक
धरती का चीरहरण
चारों ओर हरियाली होगी
होगा भूजल पुनर्भरण जल संरक्षण
चेतन कौशल "नूरपुरी"
-
श्रेणी:कवितायें
कहना है क्या
दैनिक जागरण 15 फरवरी 2007
आत्म बोध प्राप्त करने को
आत्म चिन्तन करना अच्छा
आत्म ज्ञान हो जाए
तो कहना है क्या
आत्म दर्शन करने को
आत्मावलोकन करना अच्छा
आत्म साक्षात्कार हो जाए
तो कहना है क्या
आत्म विश्वास बढ़ाने को
कलात्मक प्रतियोगिताओं में भाग लेना अच्छा
अपनी पहचान बन जाए
तो कहना है क्या
संसार एक परिवार निहारने को
आध्यात्मिक दृष्टि अपना लेना अच्छा
कोई सद्गुरु बन जाए
तो कहना है क्या
चेतन कौशल "नूरपुरी"
-
श्रेणी:कवितायें
बोल सके तो
अमर उजाला 13 फरवरी 2007
बोल सके तो बोल प्यारे
मीठे बोल तू बोल
कीमती बोल तू बोल प्यारे
बोल संभल कर बोल
फूल मुरझा जाते हैं अक्सर
कली सदा रहती नहीं
घाव तलवार के भर जाते हैं
मगर बात कड़वी मिटती नहीं
चेतन कौशल "नूरपुरी"
-
श्रेणी:कवितायें
प्यारा वतन
दैनिक जागरण 26 जनवरी 2007
है वही मेरा प्यारा वतन
हिमालय चूमता जहां ऊंचा गगन
कण कण सौरभ लाती नित नूतन पवन
पुण्य जीवन पाते मिलते जनगण
नित क्रांतियों के जहां होते यत्न
है वही मेरा प्यारा वतन
मिलता जहां देखने विशाल पाहन सेतु
उस पार पापी मारा था रक्षा मानवता हेतु
होता जहां अधर्म का प्रतिक्षण पतन
है वही मेरा प्यारा वतन
चेतन कौशल "नूरपुरी"