अनमोल वचन :-
पीठ पीछे कार्य बिगाड़ने वाले और सामने प्रिय वचन बोलने वाले मित्र को त्याग देना चाहिए। वह मित्र विष से भरे उस घड़े के समान है, जिसके केवल ऊपर - ऊपर मुख पर ही थोड़ा सा दूध है।
श्रेणी: 2 विविध
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श्रेणी:अनमोल वचन
विषैला मित्र
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श्रेणी:विचारकों के कथन
जयशंकर प्रसाद
विचारकों के कथन :-
पाषाण के भीतर भी मधुर स्रोत होते हैं।, उसमें मदिरा नहीं, शीतल जल की धारा बहती है।
- जयशंकर प्रसाद
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श्रेणी:विचारकों के कथन
स्वामी आर्यवेश
विचारकों के कथन :-
अच्छे के साथ अच्छे बनें, बुरे का साथ छोड़ दें, क्योंकि हीरे को हीरे से तराशा तो जा सकता है पर कीचड़ से कीचड़ साफ नहीं किया जा सकता।
- स्वामी आर्यवेश
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श्रेणी:चेतन विचार
राजनीति की डोर
वोट डालकर जनता को पतंग रूपी राजनीति की डोर उन लोगों केे हाथ सौंप देनी चाहिए जो जन हित और राष्ट्र हित का कार्य करने में पूर्ण रूप से सक्षम और समर्थ हैं। वे लोग जन हित और राष्ट्र हित का कार्य क्या करेंगे जो अहंकार में डूबे हुए हैं और जिन्हें निजहित के अतिरिक्त कुछ और नजर ही नहीं आता है।
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श्रेणी:चेतन विचार
जीवन की सार्थकता
माता-पिता और गुरु के जीवन की सार्थकता इसी में निहित है कि वे बच्चों को, सृष्टि में आने का उद्देश्य और उसका महत्व समझाएं अन्यथा उनका जीवन यो ही व्यर्थ चला जाएगा।