# दूसरों का मान-सम्मान करने से ही आपसी संबंध मजबूत होते हैं जबकि मर्यादा में रहने से आत्म विकास होता है।*
चेतन कौशल "नूरपुरी"
श्रेणी: चेतन विचार
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श्रेणी:चेतन विचार
आपसी संबंध
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श्रेणी:चेतन विचार
मनुष्य को
# मनुष्य को अब अपनी संकीर्णता की गलियों को अवश्य ही छोड़ना होगा, इसके बिना वह खुले विशाल आसमान में खग भांति न तो स्वच्छंद विचरण कर सकता है और न ही वह उसका कभी भरपूर आनन्द ले सकता है।*
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श्रेणी:चेतन विचार
खुला दिमाग
# खुले आसमान में विचरण करने वाले खग की तरह खुला दिमाग ही जान सकता है कि आसमान कितना बड़ा है, वह मेढक क्या जानेगा जो कुएं में रहता है और मात्र कुएं को ही सारी दुनियां समझता है।*
chetan kaushal "nurpuri*
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श्रेणी:चेतन विचार
मान-मर्यादा
मान-मर्यादा का अर्थ है दूसरों का सम्मान करना और स्वयं आत्म संयम में रहना। अगर युगों से प्रकृति धरती, सूर्य, चांद और सितारे अपनी-अपनी मान-मर्यादा की निरंतर पालना करने मे सक्षम रहे हैं तो व्यक्ति, परिवार और विश्व क्यों नहीं?
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श्रेणी:चेतन विचार
अभिव्यिक्ति
# जब-जब मनुष्य द्वारा अभिव्यिक्ति की मनमानी परिभाषा व्यक्त हुई है, तब-तब उसकी मान-मर्यादा भी नष्ट हुई है। इसलिए अभिव्यिक्ति मान-मर्यादा में ही अच्छी लगती है।*