बाप का सपना जो पूरा करे, उसे बेटा कहते हैं और माँ की आशाओं के अनुरूप जो खरी उतरे, उसे बेटी कहते हैं
चेतन कौशल "नूरपुरी"
श्रेणी: परिवार
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श्रेणी:सन्तान बेटी – बेटा
सन्तान बेटी – बेटा
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श्रेणी:परिवार
परिवार
जिस परिवार में आपसी प्रेम, सोहार्द व् शान्ति नहीं, उस घर की समस्त सुख-सुविधाएं किस काम की l
परिवार एक वह ठोस इकाई है जिससे समाज, राष्ट्र और विश्व की संरचना होती है l
पारिवारिक मतभेदों को परिवार में ही समाप्त कर लेना बुद्धिमानी का कार्य ही l पारिवारिक झगड़ों से बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, बचना चाहिए l
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:सन्तान बेटी – बेटा
घर तीर्थ
जो सन्तान अपने माता-पिता की सेवा करती है, उसे किसी तीर्थ यात्रा पर जाने की कोई आवश्यकता नहीं, वह घर स्वयं तीर्थ बन जाता है l
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:एकाकी परिवार
एकाकी परिवार
परंपरागत संयुक्त परिवार से वर्तमान एकाकी परिवार बहुत भिन्न हैं । इनमें मात्र माता - पिता और नौकर - चाकर ही होते हैं । पिता नौकरी करता है और माता घर का सब कार्य करती है या दोनों ही नौकरी करते हैं । अगर वे दोनों नौकरी करते हों तो घर और बच्चे की देख भाल के लिए उन्हें मात्र नौकर, आया या नौकरानी पर निर्भर रहना पड़ता है ।
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श्रेणी:संयुक्त परिवार
संयुक्त परिवार
विश्व भर में अन्य सभ्यताओं की अपेक्षा मात्र सत्सनातन समाज ही एक ऐसा समाज है जिसकी दृष्टि से देखने पर मातृ - पक्ष में नानी - नाना, मामी - मामा, मासी - मासड़ मिलते हैं जबकि पितृ - पक्ष में दादी - दादा, चाची - चाचा, ताई - ताया, बुआ - फूफ़ा मिलते हैं । इन दोनों परिवारों के सभी संस्कारी लोग कभी अपने - अपने परिवार में संयुक्त रूप से रहते थे । वे आपस में मिलजुल कर कार्य करते थे और एकजुट रहकर पारिवारिक दुःख - सुख का भी सामना करते थे, बच्चों को सबका प्यार व अच्छे संस्कार मिलते थे । वह संयुक्त परिवार कहलाता था । लेकिन वर्तमान में भाग - दौड़ की जिन्दगी में ऐसे परिवार या तो पूर्णरूप से लुप्त हो गए हैं या जो बचे हुए हैं, वे लुप्त होने के कगार पर पहुँच गए हैं ।