मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: 1 मानव जाति

  • श्रेणी:

    संतोष का प्याला

    चेतन आत्मोवाच 21 :-

    पी ले संतोष का प्याला, जो तेरे पास है l
    मेहनत की है तूने जितनी, मनः फल तो तेरे पास है ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    ठोकर

    चेतन आत्मोवाच 20 :-

    ठोकर बड़ी होती है, बड़ा तू नहीं इंसान l
    जब तुझको ठोकर लगी , तब होश आई है इन्सान ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    धीरे-धीरे

    चेतन आत्मोवाच 19 :-

    खाना है तो ठंडा करके होंठ नाजुक जलते हैं l
    काम अच्छा होता धीरे-धीरे, मनः शहद के भी छत्ते भरते हैं ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    जगत की रीत

    चेतन आत्मोवाच 18 :-

    पैदा हुआ सो मिट जायेगा, है यही जगत को रीत l
    झूठी है हर वस्तु यहाँ, मनः ज्यादा न बढ़ा प्रीत ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    घर

    चेतन आत्मोवाच 17 :-

    ओह ! चेहरा भीग गया है, क्यों आंसू गिराती हैं आँखें l
    यहाँ घर अपना नहीं है किसीका, मनः तू भर न यों ही आहें ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"