
चेतन आत्मोवाच 77 :-
काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, अहंकार हैं सब नर्क के द्वार l
इधर कहते हैं संत प्यारे, मनः उधर बताते हैं गुरुद्वार ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
चेतन आत्मोवाच 77 :-
काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, अहंकार हैं सब नर्क के द्वार l
इधर कहते हैं संत प्यारे, मनः उधर बताते हैं गुरुद्वार ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
चेतन आत्मोवाच 76 :-
बनी है शोभा त्रिभुवन की,सतियों और देवियों से 1
बना है इतिहास दुनियां का, मनः महान विभूतियों से 11
चेतन कौशल "नूरपुरी"
चेतन आत्मोवाच 75 :-
वह सन्तान अच्छी है, जो पावों पर अपने खड़ी है l
कर्तव्य अपना समझती है, मनः समाज की सच्ची कड़ी है ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
चेतन आत्मोवाच 74 :-
सहारा होता है जो बेसहारों का, वह दर्द हर लेता है l
जहर नदी, नाले, झरनों का, मनः शांत समुद्र पी लेता है ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
चेतन आत्मोवाच 73 :-
बिना दर्द के जो होता है, वह होता है प्रेम नहीं l
दर्द नहीं होता जिसमें, मनः होता है वह प्रेम नहीं ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"