मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: मानव जीवन

  • श्रेणी:

    मिट्टी का खिलौना


    मिट्टी का खिलौना है तू, पर ये तो भूल गया है l
    हड्डी, लकड़ी, कोयला यहाँ, मनः सब धूल बन गया है ll


  • श्रेणी:

    इन्सान था


    इंसान था मगर तूने खुद से खुद बैर किया है l
    खुदा तो खुद बन बैठा है, मनः खुद को तूने भुला दिया है ll


  • श्रेणी:

    प्रार्थना-भजन


    प्रार्थना, भजन होता है मन से, मन मंदिर के बंद किवाड़ खोल l
    स्पीकर, बाजे, चिमटे छैनें फैंक परे, मनः तू देवालय में उच्च न बोल ll


  • श्रेणी:

    दुखिया


    दुखिया को दुःख न दे, वह तो दुःख का मारा है l
    मरे को मारना भला क्या ? मनः उसका नहीं कोई सहारा है ll


  • श्रेणी:

    न कर साथ


    झूठ, चोरी, चुगली का तू कभी न करना साथ l
    उच्च जीवन नहीं बनता इनसे, मनः पीछे न मलना हाथ ll