मानवता सेवा की गतिविधियाँ
मिट्टी का खिलौना है तू, पर ये तो भूल गया है lहड्डी, लकड़ी, कोयला यहाँ, मनः सब धूल बन गया है ll
चेतन कौशल
इंसान था मगर तूने खुद से खुद बैर किया है lखुदा तो खुद बन बैठा है, मनः खुद को तूने भुला दिया है ll
प्रार्थना, भजन होता है मन से, मन मंदिर के बंद किवाड़ खोल lस्पीकर, बाजे, चिमटे छैनें फैंक परे, मनः तू देवालय में उच्च न बोल ll
दुखिया को दुःख न दे, वह तो दुःख का मारा है lमरे को मारना भला क्या ? मनः उसका नहीं कोई सहारा है ll
झूठ, चोरी, चुगली का तू कभी न करना साथ lउच्च जीवन नहीं बनता इनसे, मनः पीछे न मलना हाथ ll