मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: मानव जीवन

  • श्रेणी:

    बढ़ना है आगे


    पिछला काम निपटा दे, फिर तू बढ़ आगे l
    गति बना तू कुछ ऐसी अपनी, मनः तन आलस छोड़ कर भागे ll


  • श्रेणी:

    जीवन की सफलता


    बातों में उनको न लगा, तू मुर्ख क्यों बनता है ?
    रह मग्न तू अपने कर्म में. मनः जीवन सफल बनता है l


  • श्रेणी:

    लोकहित में


    लोकहित की बात, कर्म कर, सुन और बोल l
    दिव्य शक्ति साथ तेरे, मनः फिर न तू डोल ll


  • श्रेणी:

    स्वावलम्बन


    छोटी-छोटी जरूरत पूरी करता चल, एक दिन स्वावलंबी हो जायेगा
    मेहनत करता चल तू, मनः धीरे-धीरे सब कुछ ठीक हो जायेगा ll


  • श्रेणी:

    नीली चादर तले


    ऊपर नीली चादर, खड़ा तू तपती जमीन पर l
    तूने करना है क्या ? मनः किधर है ? तेरी डगर ll