मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: मानव जीवन

  • श्रेणी:

    खोखला ढोल


    खोखला ढोल ढम-ढम करता, गाना तो वह गा नहीं सकता l

    तू शोर धर्म का करता, मनः जब उस पर चल नहीं सकता ll



  • श्रेणी:

    सत्य है तुझसे


    सत्य है तुझसे जुदा नहीं, वह तुझ में ही समाया है l

    तार सितार से जुदा नहीं, मनः आवाज सितार से ही आया है ll


  • श्रेणी:

    कभी-कभी


    कभी-कभी ऐसा हो गया, भ्रम में अँधेरा, प्रकाश हो गया l

    अँधेरा तो अँधेरा ही रहा, पर मनः तू भ्रष्ट राही हो गया ll


  • श्रेणी:

    उत्तम विद्या


    ले लेना तू उत्तम विद्या नीच से, दूषित कुल से स्त्री रत्न l

    कह गया कोई संत प्यारा, मनः हर्ज नहीं करना ऐसा यत्न ll

  • श्रेणी:

    जाप सके तो


    जाप सके तो जाप ले तू, ॐ ॐ हर साँस l

    फिर क्या जाप पायेगा, मनः निकल जाएगी तेरी हर साँस ll