मानवता सेवा की गतिविधियाँ
समय बहता जल है, बहता ही जाता है lराही बढ़ता चल कठिनाई में, मनः बहता जाता गाता है ll
चेतन कौशल
जान सके तो खुद को जान, मोह बंधन दे तू तोड़ lतुझे प्रेम बंधन बांध लेगा, मनः मायावी घडा दे तू फोड़ ll
सुगम होती दुर्गम राह, तू राही क्यों घबराता है l दुःख-सुख हैं दोनों साथी, मनः दुःख ही सुख दिखलाता है ll
बोल सके तो बोल तू, ज्यों टहनी से फूल झड़े l वचन बड़े कीमती हैं, मनः बिल बोलना संभल के ll
फूल मुरझा जाते हैं, सदा कलि भी कलि रहती नहीं l घाव भर जाते हैं, पर मनः बात कड़वी मिटती नहीं ll