मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: 1 मानव जाति

  • श्रेणी:

    सुख की कामना

    दुःख का सामना किये बिना कभी सुख की कामना नहीं की जा सकती l 

  • श्रेणी:

    चिड़ियाँ रैन बसेरा

    यहाँ घर न तेरा है न मेरा है, चिड़ियों का रैन बसेरा है l 

  • श्रेणी:

    जीवनोपयोगी शिक्षा

    गुरु शिष्य के जिस संयुक्त प्रयास से शिष्य के जीवन का चहुँ मुखी अर्थात शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा का विकास हो, जीवनोपयोगी शिक्षा कहलाती है l 

  • श्रेणी:

    एकाकी परिवार

    परंपरागत संयुक्त परिवार से वर्तमान एकाकी परिवार बहुत भिन्न हैं । इनमें मात्र माता - पिता और नौकर - चाकर ही होते हैं । पिता नौकरी करता है और माता घर का सब कार्य करती है या दोनों ही नौकरी करते हैं । अगर वे दोनों नौकरी करते हों तो घर और बच्चे की देख भाल के लिए उन्हें मात्र नौकर, आया या नौकरानी पर निर्भर रहना पड़ता है ।

  • श्रेणी:

    संयुक्त परिवार

    विश्व भर में अन्य सभ्यताओं की अपेक्षा मात्र सत्सनातन समाज ही एक ऐसा समाज है जिसकी दृष्टि से देखने पर मातृ - पक्ष में नानी - नाना, मामी - मामा, मासी - मासड़ मिलते हैं जबकि पितृ - पक्ष में दादी - दादा, चाची - चाचा, ताई - ताया, बुआ - फूफ़ा मिलते हैं । इन दोनों परिवारों के सभी संस्कारी लोग कभी अपने - अपने परिवार में संयुक्त रूप से रहते थे । वे आपस में मिलजुल कर कार्य करते थे और एकजुट रहकर पारिवारिक दुःख - सुख का भी सामना करते थे, बच्चों को सबका प्यार व अच्छे संस्कार मिलते थे । वह संयुक्त परिवार कहलाता था । लेकिन वर्तमान में भाग - दौड़ की जिन्दगी में ऐसे परिवार या तो पूर्णरूप से लुप्त हो गए हैं या जो बचे हुए हैं, वे लुप्त होने के कगार पर पहुँच गए हैं ।