सदा चोट खाता है, तू बातों में गैरों की आ जाता है l
तेरे हित की होती हैं अपनी, मनः बात हितैषी की भूल जाता है ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
श्रेणी: 1 मानव जाति
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श्रेणी:आत्म स्वराज – आत्म नियंत्रण
हित की बात
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श्रेणी:आत्म स्वराज – आत्म नियंत्रण
हिम्मत
पत्थर रख सीने पर, मोड़ दे दिशा लहरों की l
काम नहीं है कठिन, मनः बात है प्यारे हिम्मत की ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:आत्म स्वराज – आत्म नियंत्रण
जिन्दगी
ओला गिरता जल में, बन जायेगा पानी l
बर्फ पर लिखी जिन्दगी तेरी, मनः एक दिन बन जाएगी पानी ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:आत्म स्वराज – आत्म नियंत्रण
ईर्ष्या
आग से खेलता है क्यों? वह रख बनाया करती है l
तू इर्ष्या करता है क्यों ? मनः हँसते हुए को रुलाया करती है ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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