मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: 1 मानव जाति

  • श्रेणी:

    बुरे दिन

    चेतन आत्मोवाच 71 :-

    गीदड़ की मौत आती है, उसे गाँव की राह भाती है l
    बुरे दिन आते हैं, मनः बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    जीना-मरना

    चेतन आत्मोवाच 70 :-

    गिरती बूंद नदी में बह जाती है संग जलधार l
    जीना-मरना खेल है, मनः नहीं जीत, यहाँ न किसी की हार ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    दिल से दिल

    चेतन आत्मोवाच 69 :-

    रात काली कट जाती है, सूर्य ले आता है सवेरा l
    दिल से दिल मिलता है, मनः छंट जाता है गम का अन्धेरा ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    आग

    चेतन आत्मोवाच 68 :-

    तरह-तरह का जलना है, तरह-तरह की है आग l
    जिन्दा जलाती चिंता तुझको, मनः मुर्दा भस्म करती है आग ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    परिश्रम बिना



    खोज जिसे होती है, मंजिल पा ही लेता है l
    परिश्रम बिना जो ढूंढता है, मनः जीवन नष्ट कर लेता है ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"