- # विद्यार्थी को तराशकर एक योग्य ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र कोई बना सकता है तो वह गुरु ही हो सकता है l*
- दूषित राजनीति से छुटकारा दिलाने हेतु चाणक्य जैसे आचार्यों को, चन्द्र गुप्त मौर्य जैसे विद्यार्थियों के साथ, आगे अवश्य आना पड़ता है l
- जब जब चाणक्य जैसा कोई आचार्य किसी मुरां पुत्र चन्द्र गुप्त जैसे विद्यार्थी को सम्राट चन्द्र गुप्त मौर्य बनाने में समर्थ होता है, तब तब नन्द जैसे मक्कार और क्रूर शासकों का भी पतन निश्चित होता है l इससे लोकतंत्र की स्थापना होती है और अखंड भारत का सपना साकार होता है l
श्रेणी: 1 अखंड भारत
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श्रेणी:गुरु – आचार्य
गुरु – आचार्य
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श्रेणी:शिक्षण-प्रशिक्षण नीति
विद्याओं में पारंगता
# अगर हम जीवन चुनौतियों का सामना करने में शास्त्र - शस्त्र विद्याओं में पारंगत नहीं हुए तो एक दिन विधर्मियों द्वारा बांस की भांति छिल दिए जायेंगे l*
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श्रेणी:शिक्षा
शिक्षा
- गुरु - शिष्य के जिस संयुक्त प्रयास से शिष्य के जीवन का चहुँमुखी अर्थात शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा का विकास होता है , शिक्षा कहलाती है l
- # हर मंदिर, मठ में वेदाचार्य की नियुक्ति करनी चाहिए जो स्थानीय बालक/बालिकाओं को वैदिक विद्याओं का शिक्षण - प्रशिक्षण दे सकें l*
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श्रेणी:वैदिक भाषा
वैदिक भाषा
# देशभर में वैदिक "संस्कृत भाषा" को उचित सम्मान मिलना चाहिए, "संस्कृत भाषा की कहीं भी अनदेखी" न हो।*
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