# अगर हम जीवन चुनौतियों का सामना करने में शास्त्र - शस्त्र विद्याओं में पारंगत नहीं हुए तो एक दिन विधर्मियों द्वारा बांस की भांति छिल दिए जायेंगे l*
श्रेणी: व्यवस्था
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श्रेणी:शिक्षण-प्रशिक्षण नीति
विद्याओं में पारंगता
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श्रेणी:शिक्षा
शिक्षा
- गुरु - शिष्य के जिस संयुक्त प्रयास से शिष्य के जीवन का चहुँमुखी अर्थात शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा का विकास होता है , शिक्षा कहलाती है l
- # हर मंदिर, मठ में वेदाचार्य की नियुक्ति करनी चाहिए जो स्थानीय बालक/बालिकाओं को वैदिक विद्याओं का शिक्षण - प्रशिक्षण दे सकें l*
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श्रेणी:शूद्र-कर्मवीर
शूद्र-कर्मवीर
- # शूद्र वह कलाकार है जो अपनी हस्त कला से मिट्टी, पत्थर, लकड़ी को भी साक्षात चित्र/मूर्ती, वस्तु, भवन, सेतु में बदल सकता है।*
- # जो व्यक्ति सत्य, धर्म, न्याय और नीति के हित में अपनी कला - विद्या का सृजन, पोषण, वर्धन करता है, शूद्र कहलाता है।*
- # शूद्र वर्ण संपूर्ण मानव समाज को हस्त - ललित कला, विद्या कौशल से समृद्ध करता है।*
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श्रेणी:व्यवस्था
व्यवस्था
# जिस व्यवस्था में असत्य, अधर्म, अन्याय और अनीति का बोलबाला हो उसे बदल देने में ही जन, समाज और राष्ट्र का हित है।*