चेतन आत्मोवाच 45 :-
पिछला कम निपटा दे, फिर तू बढ़ आगे l
गति बना तू कुछ ऐसी अपनी, मनः तन आलस छोड़ कर भागे ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
श्रेणी: स्व रचित रचनाएँ
-
श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
बढ़ना है आगे
-
श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
जीवन की सफलता
चेतन आत्मोवाच 44 :-
बातों में उनको न लगा, तू मुर्ख क्यों बनता है ?
रह मग्न तू अपने कर्म में. मनः जीवन सफल बनता है ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
-
श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
लोकहित में
चेतन आत्मोवाच 43 :-
लोकहित की बात, कर्म कर, सुन और बोल l
दिव्य शक्ति साथ तेरे, मनः फिर न तू डोल ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
-
श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
स्वावलम्बन
चेतन आत्मोवाच 42 :-
छोटी-छोटी जरूरत पूरी करता चल, एक दिन स्वावलंबी हो जायेगा l
मेहनत करता चल तू, मनः धीरे-धीरे सब कुछ ठीक हो जायेगा ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
-
श्रेणी:चेतन आत्मोवाच
नीली चादर तले
चेतन आत्मोवाच 41 :-
ऊपर नीली चादर, खड़ा तू तपती जमीन पर l
तूने करना है क्या ? मनः किधर है ? तेरी डगर ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"