मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: स्व रचित रचनाएँ

  • श्रेणी:

    स्वदेशी

    दैनिक जागरण 25 फरवरी 2006

    देश है प्यारा अपना स्वदेशी
    रहना है नित प्यारे स्वदेश
    जीना मरना लगे प्यारा स्वदेशी
    प्यार हुआ है संग प्यारे स्वदेष
    पा लेना है ज्ञान विदेशी
    भूल नहीं जाना है स्वदेश
    स्वदेश से नहीं प्यारे प्राण स्वदेशी
    स्वर्ग से भी प्यारा है स्वदेश
    उत्पादन बढ़ाना है देशी स्वदेशी
    पहुंचाना है उसे देश विदेश
    मुद्रा अर्जित करना देशी विदेशी
    चिड़िया सोने की फिर बनाना है स्वदेश
    कभी नीयत खराब न करना स्वदेशी
    चाहे बाधाएं आएं अनेक देश विदेश
    मुहं तोड़ एक उत्तर देना स्वदेशी
    गूंज पड़े जिसकी देश विदेश
    असीमित धन सम्पदा हो देशी विदेशी
    जरूरतमंद तक पहुंचाना है देश विदेश
    चाहे लाख षड्यंत्र करे कोई देशी विदेशी
    प्रभावित नहीं होने देनी है संस्कृति स्वदेश
    सभ्यता संस्कृति विचित्र है स्वदेशी
    मची धूम मची रहे देश विदेश
    उठ जाग जागते रहना है स्वदेशी
    ना जाग उठे जब तलक देश विदेश


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    स्वाधीन भारत

    दैनिक जागरण 2 फरवरी 2006

    पराधीन देश में वो घड़ी लगती अच्छी थी
    स्थान स्थान पर तिरंगा फहराने को
    लगाना जान की बाजी लगती अच्छी थी
    आज गीत वंदे मात्रम गाने को
    राष्ट्रीय गान का अपमान हो रहा क्यों
    हमारे स्वाधीन भारत में
    आतंकी संसद पर हमला हैं करते
    हम आरपार की लड़ाई करने की हैं सोचा करते
    उस पर हमला न करो वो हैं कहते
    हम सेना को वापिस हैं बुलाया करते
    देश की स्वतन्त्रता सुरक्षित रहेगी कैसे
    हमारे स्वाधीन भारत में
    राष्ट्रीय आर्थिक नीतियां बनती हैं
    विश्व बैंक की अनुमति लेने से
    सब्सिडी देनी या हटानी होती है
    विश्व व्यापार संगठन की सहमती से
    देश का आर्थिक विकास होगा कैसे
    हमारे स्वाधीन भारत में
    जिस गांव में परिवार की बेटी ब्याही जाती थी
    उस गांव का गांव वाले जल ग्रहण नहीं करते थे
    परिवार की बेटी गांव की बेटी होती थी
    लोग गांव में नारी सम्मान किया करते थे
    आज परिवार की बेटी को बुरी नजर से बचाएगा कौन
    हमारे स्वाधीन भारत में
    मठ मंदिरों की आय पर कर लगने की तैयारी हो रही
    राजनीतिज्ञों द्वारा धार्मिक सत्ता को चुनौति दी जा रही
    देश की सीमाएं सिकुड़ती जा रहीं
    देश की सुरक्षा खतरे में घिरती जा रही
    राष्ट्रीय सुरक्षा के उपायों पर राजनीति कर रहा कौन
    हमारे स्वाधीन भारत में


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    देख सके तो

    दैनिक जागरण 8 जनवरी 2006 

    स्वामी सबका ईश्वर है प्राणी हैं अनेक
    जीवन सबका समान है देख सके तो मन से देख
    नारी सबकी जननी है माताएं हैं अनेक
    बच्चे सबके समान हैं देख सके तो मन से देख
    ज्ञान जननी बुद्धि है मस्तिष्क हैं अनेक
    आत्म ज्ञान समान है देख सके तो मन से देख
    खून सबका लाल है विचार हैं अनेक
    प्रेम से सब समान हैं देख सके तो मन से देख
    जाति सबकी मानव है नरनारी हैं अनेक
    जन्म से सब समान हैं देख सके तो मन से देख
    धर्म सबका मानवता है सम्प्रदाय हैं अनेक
    अपने पराए सब समान हैं देख सके तो मन से देख
    धरती सबकी सांझी है परंपराएं हैं अनेक
    मिलकर सब समान हैं देख सके ता मन से देख


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    चेतना

    सेवा जो कर न सके
    वह तन है किस काम का
    नाम जो जाप न सके
    वह मन है किस काम का
    कार्य जो सिद्ध कर न सके
    वह धन है किस काम का
    सन्मार्ग जो दिखा न सके
    वह ज्ञान है किस काम का
    जीवनरस जो भर न सके
    वह धर्म है किस काम का
    मानवसृजन जो कर न सके
    वह दाम्पत्य है किस काम का


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    ज्ञान चालीसा

    आलेख - शिक्षा दर्पण कश्मीर टाइम्स 16.11.2008
    योग्य गुरु एवंम योग्य विद्यार्थी के संयुक्त प्रयास से प्राप्त विद्या से विद्यार्थी का  हृदय और मस्तिष्क प्रकाशित होता है l अगर विद्या प्राप्ति हेतु प्रयत्नशील द्वारा बार-बार  प्रयत्न करने पर भी असफलता मिले तो उसे कभी जल्दी हार नहीं मान लेनी चाहिए बल्कि ज्ञान संचयन हेतु पूर्ण लगनता के साथ और अधिक श्रम करना चाहिए ताकि उसमें किसी प्रकार की कोई कमी न रह जाये l 
    1. लोक भ्रमण करने से विषय वस्तु को भली प्रकार समझा जाता है l
    2. साहित्य एवंम सदग्रंथ पड़ने से विषय वस्तु का बोध होता है l
    3. सुसंगत करने से विषयक ज्ञान-विज्ञान का पता चलता है l
    4. अधिक से अधिक जिज्ञासा रखने से ज्ञान-विज्ञान जाना जाता है l
    5. बड़ों का उचित सम्मान और उनसे शिष्ट व्यवहार करने से उचित मार्गदर्शन मिलता है l
    6. आत्म चिंतन करने से आत्मबोध होता है l
    7. सत्य निष्ठ रहने से संसार का ज्ञान होता है l
    8. लेखन-अभ्यास करने से आत्मदर्शन होता है l
    9. अध्यात्मिक दृष्टि अपनाने से समस्त संसार एक परिवार दिखाई देता है l
    10. प्राकृतिक दर्शन करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है l
    11. सामाजिक मान-मर्यादाओं की पालना करने से जीवन सुगन्धित बनता है l
    12. शैक्षणिक वातावरण बनाने से ज्ञान विज्ञान का विस्तार होता है l
    13. कलात्मक अभिनय करने से दूसरों को ज्ञान मिलता है l
    14. कलात्मक प्रतियोगिताओं में भाग लेने से आत्मविश्वास बढ़ता है l
    15. दैनिक लोक घटित घटनाओं पर दृष्टि रखने से स्वयं को जागृत किया जाता है l
    16. समय का सदुपयोग करने से भविष्य प्रकाशमान हो जाता है l
    17. कलात्मक शिक्षण-प्रशिक्षण लेने से योग्यता में निखार आता है l
    18. उच्च विचार अपनाने से जीवन में सुधार होता है l
    19. आत्मविश्वास युक्त कठोर श्रम करने से जीवन विकास होता है l
    20. मानवी ऊर्जा ब्रह्मचर्य का महत्व समझ लेने और उसे व्यवहार में लाने से कार्य क्षमता बढ़ती है l
    21. मन में शुद्धभाव रखने से आत्म विश्वास बढ़ता है l
    22. कर्मनिष्ठ रहने से अनुभव एवंम कार्य कुशलता बढ़ती है l
    23. दृढ निश्चय करने से मन में उत्साह भरता है l
    24. लोक परम्पराओं का निर्वहन करने से कर्तव्य पालन होता है l
    25. स्थानीय लोक सेवी संस्थाओं में भाग लेने से समाज सेवा करने का अवसर मिलता है l
    26. संयुक्त रूप से राष्ट्रीय पर्व मनाने से राष्ट्र की एकता एवंम अखंडता प्रदर्शित होती है l
    27. स्वधर्म निभाने से संसार में अपनी पहचान बनती है l
    28. प्रिय नीतिवान एवंम न्याय प्रिय बनने से सबको न्याय मिलता है l
    29. स्वभाव से विनम्र एवंम शांत मगर शूरवीर बनने से जीवन चुनौतिओं का सामना किया जाता है l
    30. निडर और धैर्यशील रहने से जीवन का हर संकट दूर होता है l
    31. दुःख में प्रसन्न रहना ही शौर्यता है l वीर पुरुष दुःख में भी प्रसन्न रहते है l
    32. निरंतर प्रयत्नशील रहने से कार्य में सफलता मिलती है l
    33. परंपरागत पैत्रिक व्ययवसाय अपनाने से घर पर ही रोजगार मिल जाता है l
    34. तर्क संगत वाद-विवाद करने से एक दूसरे की विचारधारा जानी जाती है l
    35. तन, मन, और धन लगाकर कार्य करने से प्रशंसकों और मित्रों की वृद्धि होती है l
    36. किसी भी प्रकार अभिमान न करने से लोकप्रियता बढ़ती है l
    37. सदा सत्य परन्तु प्रिय बोलने से लोक सम्मान प्राप्त होता है l
    38. अनुशासित जीवन यापन करने से भोग सुख का अधिकार मिलता है l
    39. कलात्मक व्यवसायिक परिवेश बनाने से भोग सुख और यश प्राप्त होता है l
    40. निःस्वार्थ भाव से सेवा करने से वास्तविक सुख व आनंद मिलता है l


    चेतन कौशल “नूरपुरी”