दैनिक जागरण 12 जनवरी 2007
जातियां होती हैं जीव जंतुओं की
मनुष्य नर नारी की नहीं
करके जातिगत बंटवारा समाज का
पा सकता तू सुख शांति नहीं
कौन सी जाति क्या है जाति
इससे नहीं है तेरा कोई वास्ता
हर प्राणी है रूप ईश्वर का
सुख शांति का और न कोई रास्ता
चेतन कौशल "नूरपुरी"
श्रेणी: स्व रचित रचनाएँ
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सुख शांति का रास्ता
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गुरु का निरादर
दैनिक जागरण 16 मार्च 2007
जब मन कर्म वाणी से
मैं गुरु का अनादर करता हूं
तब मैं उनसे सुस्नेह की
सयंमी होते हैं गुरु सदा
करते हैं शिष्य हित की बात
मैं शिष्य हूं मन चला
करता हूँ अपने मन की बात
मन की बातों में रम कर
जब मैं गुरु को भूल जाता हूं
खाता हूं तब ठोकरें दरदर
गुरु से दूर हो जाता हूं
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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छात्रों की व्यथा
दैनिक जागरण 10 मार्च 2007
हमें पर्चियां पहुंचा कर
परीक्षा में नकल को न करो हवा
अमूल्य जीवन भ्रष्ट हो जाएगा
हमारी अयोग्यता को न करो हवा
नकल से परीक्षा में हम चाहे पास हो जाएंगे
ऐसे तो हम कभी योग्य नही बन पाएंगे
आगे योग्य नागरिक तुम्हें मिलेंगे कैसे
योग्य डाक्टर इंजीनियर तुम्हें मिलेंगे कैसे
हमारे इन अमूल्य जीवन पलों को
नकल की तुम न करो हवा
हमें पर्चियां पहुंचा कर
परीक्षा को न करो हवा
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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जागो धरती नन्दन
दैनिक जागरण 2 मार्च 2007
जागो धरती नन्दन हो रहा क्रंदन महान
कांप रही धरती गिर न जाए आसमान
पीडि़त राष्ट्र निज नेत्र खोल जरा
त्रस्त मानवता रक्त रंजित हो धरा
जमा और मुनाफाखोरों का लगा है मेला
स्वार्थ सिद्धि का पड़ा है घेरा
पल पल लाता कम्पन प्रभंजन जहान
जागो धरती नन्दन हो रहा क्रंदन महान
राम कृष्ण की धरती कर रही पुकार है
उत्तरदायी होकर तू क्यों कर रहा संहार है
असहाय प्राणी देश के क्षुधार्थ मरने को हैं लाचार
छोड़ धन संचयन की लालसा तूने करना है उपकार
सदाचारी को समझे नित मां अपनी प्यारी संतान
जागो धरती नन्दन हो रहा क्रंदन महान
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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श्रेणी:कवितायें
भूजल संरक्षण
भूजल संरक्षण का हर जगह रखना है ध्यान
पल पल इससे सबको मिलता है जीवन दान
अब हमने युद्धस्तर पर करना है
भूजल का संरक्षण
भूजल स्तर ऊपर लाना है
होगा इससे हर जीवन का संरक्षण
नहीं करेंगे अब हम और अधिक
धरती का चीरहरण
चारों ओर हरियाली होगी
होगा भूजल पुनर्भरण जल संरक्षण
चेतन कौशल "नूरपुरी"