मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: स्व रचित रचनाएँ

  • श्रेणी:

    अभाव में

    दैनिक जागरण 3 दिसम्बर 2006 

    गुण बिना, रूप सुन्दर करना है क्या?
    विनम्रता बिना, ज्ञान गूढ़ करना है क्या?
    सदुपयोग बिना, धन अपार करना है क्या?
    साहस बिना, शस्त्र-अस्त्र अजेय करना है क्या?
    भूख बिना, भोजन बलवर्धक करना है क्या?
    होश बिना, साहस अदम्य करना है क्या?
    परोपकार बिना, बलवान तन करना है क्या?
    सेवा-त्याग बिना, बसेरा अपनों संग करना है क्या?


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    अखंड जोत जलाने दो

    दैनिक जागरण 25 मई 2006 

    विद्या, संस्कृति, साहित्य सृजन करने का,
    जीवन चुनौतियों का सामना करने का,
    त्याग, भक्ति, सेवा, बलिदान करने का,
    दिव्य शक्तियों का, सामर्थ्य का, योग्यता का,
    बोध करवाता है, विद्यालय कर्तव्य परायणता का,
    निष्पक्ष प्रकाशन, प्रसारण, प्रदर्शन करने वालो!
    उच्च जीवन, परिवार, समाज का पोषण करने वालो!
    ज्ञान-स्रोत हितैषी हैं वैदिक विद्या-मंदिर, उन्हें सक्रिय होने दो,
    अखण्ड जोत जलाते हैं, उन्हें जोत से जोत जलाने दो,


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    अंतर दंद्व

    दैनिक जागरण  28 मार्च 2006 

    क्या मैं समय का सदुपयोग कर रहा हूं?
    क्या मैं अपना भविष्य प्रकाशमय बना रहा हूं?
    विद्यार्थी हूं,
    मैं विद्या ग्रहण करता हूं क्या?
    समय है अनमोल,
    मैं विद्या-आचरण करता हूं क्या?
    विद्यार्थी जीवन में सीखना और जानना,
    क्या है निश्चय अपना?
    क्या पूरा होगा?
    जीवन का जो है निश्चित सपना,
    क्या मैं समय का मोल जानता हूं?
    क्या मैं समय का प्रभाव मानता हूं?


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    जो चाहो ले लो

    दुनियां से जो चाहो, तुम ले लो
    चाहो शूल, तो शूल मिलेंगे
    चाहो फूल, तो फूल मिलेंगे
    सूुई चुभाओ, तो शूल लगेंगे
    फूल बांटो, तो हार पड़ेंगे
    मुस्कुराहट छीनकर, शूल दर्द देता है
    दर्द लेकर, फूल हंसी लौटा देता है
    चाहो शूल, तुम शूल ले लो
    चाहो फूल, तुम फूल ले लो
    दुनियां से जो चाहो, तुम ले लो


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    भारतीय इतिहास

    भारतीय इतिहास को आजतलक भारत में जनित, संस्कारित एक भारतीय ने जितना अच्छा जाना हैै, विपरीत सभ्यता, संस्कृति में जनित, संस्कारित किसी विदेशी ने नहीं। उसने तो भारतीय इतिहास को कभी जानने का प्रयास ही नही किया, उसका मात्र एक यही उद्देश्य रहा है कि  किस तरह भारत की संगठित शक्ति एवं सुख समृद्धि को नष्ट करके उसे क्षीण, हीन बनाया जा सकता है?