मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: स्व रचित रचनाएँ

  • श्रेणी:

    आत्मावलोकन

    था इन्सान मगर मैने
    खुद से खुद वैर किया है
    शैतान तो खुद बन बैठा हूं
    प्रभु को मैंने भुला दिया है
    देखा न कभी मैंने खुद को
    पूछता हूं, तू है कौन?
    जान लूं मैं खुद को पहले
    फिर पूछूं, बता तू है कौन?
    दूसरों का चेहरा दिख जाता
    अपना कभी दिखता नहीं
    हर दोष दूसरों का दिख जाता
    अपना एक भी दिखता नहीं
    पहले दूसरों को न देख
    "चेतन" तू खुद ही को देख
    खुद की कर दूर बुराई
    पहले दूसरों की अच्छाई देख


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    आत्म विस्मरण

    सदा चोट खाता हूं मैं
    बातों में, गैरों की आता हूं
    मेरे हित की होती हैं
    बात हितैशी की भूल जाता हूं
    इन्सान था पर मैंने
    खुद से खुद वैर किया है
    शैतान बना लिया मैने खुद को
    प्रभु को मैंने भुला दिया है
    जानता नहीं मैं खुद को
    पूछता हूं, तू है कौन?
    क्या जान लूं? मैं पहले खुद को
    फिर पूछूं, बता तू है कौन?


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    आत्म विश्वास

    विषय वस्तु समझ आ जाएगी
    लोक-भ्रमण करके देख ले
    बात ज्ञान-विज्ञान की समझ आएगी
    सुसंगत करके देख ले
    विषय-वस्तु का ज्ञान-वर्धन हो जाएगा
    साहित्य-ग्रंथ पढ़कर देख ले
    योग्यता में निखार आ जाएगा
    कलात्मक शिक्षण-प्रशिक्षण ले कर देख ले
    सांसारिक ज्ञान मिल जाएगा
    सत्यनिष्ठ रह कर देख ले
    आत्म ज्ञान-विज्ञान बढ़ जाएगा
    विरही आंतरिक जिज्ञासा जगा कर देख ले
    ज्ञान-विज्ञान का विस्तार हो जाएगा
    शैक्षणिक वातावरण बना कर देख ले
    दूसरों तक ज्ञान जाएगा
    कलात्मक अभिनय करके देख ले
    मेरी बात पर न हो विश्वास
    अपने जीवन में उतार कर देख ले
    अगर स्वयं पर हो विश्वास
    तो मेरी बात मान कर देख ले


    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    आत्म-प्रकाश

    मैं क्यों बुद्धि का अंधा हो गया हूं?
    दो-तीन गुणों का तो मालिक बन गया हूं
    जो भी मैं बड़ाई प्राप्त करता हूं
    क्यों उसमें खुद को खुद भूल गया हूं
    धन्य है कि बड़ाई मेरे पास आती है
    पर वह मुझ में विराजित दिव्यांश को जाती है
    बस यह धारणा मेरी गलत हो गई
    राह भी मेरी आगे की आसान हो गई
    अब अन्तरात्मा मेरा प्रकाशित है
    यह तन मात्र पुतला मिट्टी है
    और समझ में भी मेरे आया है
    घमंड करके मैंने बहुमूल्य जीवन गंवाया है


    चेतन कौशल "नूरपुरी"

  • श्रेणी:

    आत्म-जागरण

    पराई आशा पर जीने वाले!
    पराए प्रकाश पर चलने वाले!
    पराई मेहनत खाने वाले!
    रास्ता छोड़ भटकने वाले!
    मिलेगी तुझे कब तक आस?
    मिलेगा तुझे कब तक प्रकाश?
    मिलेगा तुझे कब तक खाना?
    पड़ेगा तुझे कब तक पछताना?
    अपने साहस पर तू कर ले आस,
    अपनी राह पर खुद कर ले प्रकाश,
    नित अपनी मेहनत का खाया कर,
    जीवन की सही राह अपनाया कर,
    पराई आस पर जी रहा, कोई कहेगा नहीं,
    दूसरों का सहारा ले रहा, किसी से सुनेगा नहीं,
    देख रहा हाथ पराए, कोई कहेगा नहीं,
    राह भटक गया, किसी से सुनेगा नहीं,
    निराशा ले जीत, तेरे साहस का है काम,
    मेहनत कर, फल देना ईश्वर का है काम,
    शेर छोड़े जूठन, खाना गीदड़ों का है काम,
    स्थित-प्रज्ञ बन जा, तेरी बुद्धि का है काम,


    चेतन कौशल "नूरपुरी"