श्रेणी: कवितायें

  • भूजल जीवन आधार

    23 सितम्बर 2004 दिव्य हिमाचलवर्षा जल छत पर आएटिप-टिप-टिप,जल परनाला कूप पर ले जाएटिप-टिप-टिप,शुद्ध जल सबने पीना है,भूजल से सबने जीना है,चेतन यह भूजल हैजीवन का आधार,मात्र शुद्ध भूजल है,जीवन का आधार,चेतन कौशल “नूरपुरी”

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  • दानवता का अहसास

    24 जून 1996 कश्मीर टाइम्सहिंसा करता मैं धर्म के नाम पर,धर्म पशुता में अंतर रहा क्या?इंसान हूँ कहलाता मैं मगरबन गया पशु, अर्थ रहा क्या?बस एक इंसान हूँ मैं मगरभेड़िये की खाल में रहता क्यों?बातें धर्म की करता मैं मगरलहू बेगुनाहों का बहाता क्यों?हिंसा है धर्म दानव का,सबको मरने की रह दिखाई है,हिंसा करना है…

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  • शाख शाख पर

    24 जून 1996 कश्मीर टाइम्सजिधर देखूं,उधर अजगर,इधर अजगर,उधर अजगर,आगे अजगर,पीछे अजगर,नीचे अजगर,ऊपर अजगर,अंदर अजगर,बाहर अजगर,छोटा अजगर,बड़ा अजगर,जिधर देखूं,उधर अजगर,अजगर ही अजगरहो जायेंगे जब हर शाख पर,बता चेतन चहकेंगे पंछी,कैसे? शाख शाख पर,चेतन कौशल “नूरपुरी”

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  • घृणा-फूट

    24 जून 1996 कश्मीर टाइम्सभड़कने नहीं देंगे, हम फिरघृणा-फूट की ज्वाला,अवरुध्द करेंगे, बढ़ती इसभयानक आंधी को,दुश्मनों का दिल तो हैपहले से ही काला,सीने पर लगने नहीं देंगे, अबकोई गोली किसी गांधी को,चेतन कौशल “नूरपुरी”

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  • चाहेंगे हम

    18 जून 1996 कश्मीर टाइम्सदे सकते हैं, हम सत्ता जिन शासकों को,हटा सकते हैं, हम उनको भी शासन से,लोकतांत्रिक हैं, हम बोलेंगे उन शासकों को,गद्दारी मत करना, तुम भूलकर भी स्वशासन से,दे सकते हो, कुशल और स्वच्छ प्रशासन देना,सुखसमृद्धि देना और कल्याणकारी प्रशासन देना,नहीं तो फिर हमने तुम्हारा स्थान खाली कर देना,चाहेंगे हम तुम्हारा स्थान…

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