श्रेणी: कवितायें

  • आत्म-जागरण

    पराई आशा पर जीने वाले!पराए प्रकाश पर चलने वाले!पराई मेहनत खाने वाले!रास्ता छोड़ भटकने वाले!मिलेगी तुझे कब तक आस?मिलेगा तुझे कब तक प्रकाश?मिलेगा तुझे कब तक खाना?पड़ेगा तुझे कब तक पछताना?अपने साहस पर तू कर ले आस,अपनी राह पर खुद कर ले प्रकाश,नित अपनी मेहनत का खाया कर,जीवन की सही राह अपनाया कर,पराई आस पर…

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  • अभाव में

    दैनिक जागरण 3 दिसम्बर 2006 गुण बिना, रूप सुन्दर करना है क्या?विनम्रता बिना, ज्ञान गूढ़ करना है क्या?सदुपयोग बिना, धन अपार करना है क्या?साहस बिना, शस्त्र-अस्त्र अजेय करना है क्या?भूख बिना, भोजन बलवर्धक करना है क्या?होश बिना, साहस अदम्य करना है क्या?परोपकार बिना, बलवान तन करना है क्या?सेवा-त्याग बिना, बसेरा अपनों संग करना है क्या?…

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  • अखंड जोत जलाने दो

    दैनिक जागरण 25 मई 2006 विद्या, संस्कृति, साहित्य सृजन करने का,जीवन चुनौतियों का सामना करने का,त्याग, भक्ति, सेवा, बलिदान करने का,दिव्य शक्तियों का, सामर्थ्य का, योग्यता का,बोध करवाता है, विद्यालय कर्तव्य परायणता का,निष्पक्ष प्रकाशन, प्रसारण, प्रदर्शन करने वालो!उच्च जीवन, परिवार, समाज का पोषण करने वालो!ज्ञान-स्रोत हितैषी हैं वैदिक विद्या-मंदिर, उन्हें सक्रिय होने दो,अखण्ड जोत जलाते…

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  • अंतर दंद्व

    दैनिक जागरण 28 मार्च 2006 क्या मैं समय का सदुपयोग कर रहा हूं?क्या मैं अपना भविष्य प्रकाशमय बना रहा हूं?विद्यार्थी हूं,मैं विद्या ग्रहण करता हूं क्या?समय है अनमोल,मैं विद्या-आचरण करता हूं क्या?विद्यार्थी जीवन में सीखना और जानना,क्या है निश्चय अपना?क्या पूरा होगा?जीवन का जो है निश्चित सपना,क्या मैं समय का मोल जानता हूं?क्या मैं समय…

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  • जो चाहो ले लो

    दुनियां से जो चाहो, तुम ले लोचाहो शूल, तो शूल मिलेंगेचाहो फूल, तो फूल मिलेंगेसूुई चुभाओ, तो शूल लगेंगेफूल बांटो, तो हार पड़ेंगेमुस्कुराहट छीनकर, शूल दर्द देता हैदर्द लेकर, फूल हंसी लौटा देता हैचाहो शूल, तुम शूल ले लोचाहो फूल, तुम फूल ले लोदुनियां से जो चाहो, तुम ले लोचेतन कौशल “नूरपुरी”

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