मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: अनमोल वचन

  • श्रेणी:

    ब्रह्म ही ब्रह्म

    अनमोल वचन :-

    यज्ञ में किया जाने वाला अर्पण ब्रह्म है, यज्ञ में प्रयुक्त हवन-सामग्री भी ब्रह्म है, ब्रह्म रूप कर्ता के द्वारा ब्रह्मरूप अग्नि में आहुति देने की क्रिया भी ब्रह्म है। इस ब्रह्म कर्म में समाधिस्थ साधक द्वारा प्राप्त किया जाने वाला फल भी ब्रह्म ही है।

  • श्रेणी:

    वैरागी पुरुष

    अनमोल वचन :-

    जो पुरुष सांसारिक आश्रय से रहित सदा परमानन्द परमात्मा में तृप्त है, वह कर्मों के फल और संग अर्थात कर्तव्य-अभिमान को त्यागकर कर्म में अच्छी प्रकार बर्तता हुआ भी कुछ भी नहीं करता है।


  • श्रेणी:

    महापुरुष

    अनमोल वचन :-

    जिसके सम्पूर्ण शास्त्र सम्मत कर्म भी बिना कामना और संकल्प के होते हैं तथा जिसके कर्मज्ञान रूपी अग्नि द्वारा भस्मीभूत हो गए हैं, उस महापुरुष को ज्ञानीजन भी पंडित कहते हैं।

  • श्रेणी:

    शब्द

    अनमोल वचन :-

    यदि शब्द नामक प्रकाश सम्पूर्ण संसार में व्याप्त न हो तो तीनों लोकों में अंधकार छा जाए।

  • श्रेणी:

    संकल्प

    अनमोल वचन :-

    इच्छा का मूल संकल्प है। संकल्प से ही यज्ञ समुत्पन्न हुए हैं। व्रत-यम-नियम और धर्म ये सब संकल्प से ही उत्पन्न होते हैं। अर्थात इन सब में प्रवुत्ति का आधार संकल्प ही है।