श्रेणी: अनमोल वचन

  • कर्म का स्वभाव

    अनमोल वचन :-मनुष्य का पूर्वकृत कर्म उसके सोने पर साथ ही सोता है, उठने पर साथ ही उठता है और दौड़ने पर भी साथ ही दौड़ता है।

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  • अपना – अपना स्वभाव

    अनमोल वचन :-बुढ़ापा सुंदर रूप को, आशा धीरता को, मृत्यु प्राणों को, दोष देखने की आदत धर्माचरण को, क्रोध लक्ष्मी को, नीच पुरुषों की सेवा सत्वभाव को, काम लज्जा को और अभिमान सर्वस्व को नष्ट कर देता है।

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  • मन का प्रयास

    अनमोल वचन :-यह स्थिर न रहने वाला और चंचल मन जिस – जिस शब्दादि विषय के निमित्त से संसार में विचरता है, उस उस विषय से रोककर यानी हटाकर इसे बार – बार परमात्मा में ही निरुद्ध करें।

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  • विषैला मित्र

    अनमोल वचन :-पीठ पीछे कार्य बिगाड़ने वाले और सामने प्रिय वचन बोलने वाले मित्र को त्याग देना चाहिए। वह मित्र विष से भरे उस घड़े के समान है, जिसके केवल ऊपर – ऊपर मुख पर ही थोड़ा सा दूध है।

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