मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: स्व रचित रचनाएँ

  • श्रेणी:

    संतान

    चेतन आत्मोवाच 75 :-

    वह सन्तान अच्छी है, जो पावों पर अपने खड़ी है l
    कर्तव्य अपना समझती है, मनः समाज की सच्ची कड़ी है ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    सहारा

    चेतन आत्मोवाच 74 :-

    सहारा होता है जो बेसहारों का, वह दर्द हर लेता है l
    जहर नदी, नाले, झरनों का, मनः शांत समुद्र पी लेता है ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    प्रेम

    चेतन आत्मोवाच 73 :-

    बिना दर्द के जो होता है, वह होता है प्रेम नहीं l
    दर्द नहीं होता जिसमें, मनः होता है वह प्रेम नहीं ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    फ़कीर

    चेतन आत्मोवाच 72 :-

    राजा से फकीर अच्छा, दिलों पर राज करता है l
    दुःख में रहता है राजा, मनः जन, धन पर राज करता है ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    बुरे दिन

    चेतन आत्मोवाच 71 :-

    गीदड़ की मौत आती है, उसे गाँव की राह भाती है l
    बुरे दिन आते हैं, मनः बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"