मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



श्रेणी: स्व रचित रचनाएँ

  • श्रेणी:

    इंसान

    चेतन आत्मोवाच 80 :-

    इन्सान बना वही, लिया जिसने खुद को पहचान 1
    फूंक-फूंककर हर कदम चले, मनः दाग से बचे चरित्रवान 11


    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    श्रेष्ठ साहित्य

    चेतन आत्मोवाच 79  :-

    श्रेष्ठ साहित्य है कामधेनु, दूध सम देता है शक्ति l
    ज्ञानी की बात छोड़ो, मनः मुर्ख भी करने लगता है भक्ति l


    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    मदिरा

    चेतन आत्मोवाच 78 :-

    नहीं रहता माँ, बहन, बेटी पत्नी का भेद वहां l
    मदिरा का चलता है मनः दौर खुले आम जहाँ ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    मानसिक विकार

    चेतन आत्मोवाच 77 :-

    काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, अहंकार हैं सब नर्क के द्वार l
    इधर कहते हैं संत प्यारे, मनः उधर बताते हैं गुरुद्वार ll
    चेतन कौशल "नूरपुरी"


  • श्रेणी:

    शोभा एवं इतिहास

    चेतन आत्मोवाच 76 :-

    बनी है शोभा त्रिभुवन की,सतियों और देवियों से 1
    बना है इतिहास दुनियां का, मनः महान विभूतियों से 11
    चेतन कौशल "नूरपुरी"