मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



लूट सके तो

चेतन आत्मोवाच 38 :-

लूट सके तो लूट ले तू, भरा है ज्ञान का भंडार l
है प्रकृति अमोल खजाना, मनः कर ले तू उससे प्यार ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"

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