चेतन आत्मोवाच 65 :-
कली बनता गुल, गुल खिलता है काँटों में l
अभ्यास बनता है मेहनत, मनः होती नहीं मेहनत बातों में ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
चेतन आत्मोवाच 65 :-
कली बनता गुल, गुल खिलता है काँटों में l
अभ्यास बनता है मेहनत, मनः होती नहीं मेहनत बातों में ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
प्रातिक्रिया दे