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”देश का सम्मान“

# ”देश का सम्मान“ से बढ़कर और कोई ऊँचा नहीं हो सकता, भले ही वह अपने कितने ही उच्च पद पर आसीन क्यों न हो, अगर उसका मन, कर्म और वाणी देश हित में न हो तो उसे तत्काल देश द्रोही के अपराध में दंड अवश्य मिलना चाहिए।* 

चेतन कौशल "नूरपुरी"

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