मानवता

मानवता सेवा की गतिविधियाँ



दुःख-सुख

चेतन आत्मोवाच 13 :-

सुगम होती दुर्गम राह, तू राही क्यों घबराता है l
दुःख-सुख हैं दोनों साथी, मनः दुःख ही सुख दिखलाता है ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"

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