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जागो धरती नन्दन

दैनिक जागरण 2 मार्च 2007 

जागो धरती नन्दन हो रहा क्रंदन महान
कांप रही धरती गिर न जाए आसमान
पीडि़त राष्ट्र निज नेत्र खोल जरा
त्रस्त मानवता रक्त रंजित हो धरा
जमा और मुनाफाखोरों का लगा है मेला
स्वार्थ सिद्धि का पड़ा है घेरा
पल पल लाता कम्पन प्रभंजन जहान
जागो धरती नन्दन हो रहा क्रंदन महान
राम कृष्ण की धरती कर रही पुकार है

उत्तरदायी होकर तू क्यों कर रहा संहार है
असहाय प्राणी देश के क्षुधार्थ मरने को हैं लाचार
छोड़ धन संचयन की लालसा तूने करना है उपकार
सदाचारी को समझे नित मां अपनी प्यारी संतान
जागो धरती नन्दन हो रहा क्रंदन महान

चेतन कौशल "नूरपुरी"

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