चेतन आत्मोवाच 64 :-
महंदी रंग लाती है पत्थर पर घिसने के बाद l
अक्कल का गुल खिलता है, मनः ठोकर खाने के बाद ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
चेतन आत्मोवाच 64 :-
महंदी रंग लाती है पत्थर पर घिसने के बाद l
अक्कल का गुल खिलता है, मनः ठोकर खाने के बाद ll
चेतन कौशल "नूरपुरी"
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